एक तो शराब कम और पैमाना टुटा हुआ है,
चहेरे पे ज़ख्म तो थे कितने उसपे आईना टुटा हुआ है.
कुछ भी नहीं था लेकिन तेरा सहारा था,
जो कुछ भी था वो सब कुछ लूटा हुआ है.
एक हीं मिली है ज़िंदगी किस किस की करु में बंदगी,
खुदा को मना लिया है और सनम रुठा हुआ है.
चाहे लाख बना तुं आशीक़ गैरो को मगर,
तेरा होठ मेरे होठ से ज़ूठा हुआ है.
एक तो तेरा ये हुस्न उसपे ज़माना खराब,
नशा हीं नहीं तेर साथ भी छुटा हुआ है.
दिल उठ गया अब तो तेरी महोब्बत से,
फिर भीं तेरी दुआ में ये हाथ उठा हुआ है.
- संजय छेल
चहेरे पे ज़ख्म तो थे कितने उसपे आईना टुटा हुआ है.
कुछ भी नहीं था लेकिन तेरा सहारा था,
जो कुछ भी था वो सब कुछ लूटा हुआ है.
एक हीं मिली है ज़िंदगी किस किस की करु में बंदगी,
खुदा को मना लिया है और सनम रुठा हुआ है.
चाहे लाख बना तुं आशीक़ गैरो को मगर,
तेरा होठ मेरे होठ से ज़ूठा हुआ है.
एक तो तेरा ये हुस्न उसपे ज़माना खराब,
नशा हीं नहीं तेर साथ भी छुटा हुआ है.
दिल उठ गया अब तो तेरी महोब्बत से,
फिर भीं तेरी दुआ में ये हाथ उठा हुआ है.
- संजय छेल
No comments:
Post a Comment