लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दिजीए,
आप फिर मुस्कूरा दिजीए.
चांद कबतक ग्रहन मै रहे,
अब तो ज़ुल्फ़े हटा दिजीए,
मेरा दामम बहोत साफ़ है,
कोई तोहमत लगा दिजीए.
किंम्मत-ए-दिल बता दिजीए,
ख़ाक लेकर उड़ा दिजीए.
आप अंधेरे में कबतक रहे,
फिर कोई घर जला दिजीए.
इक समंदर ने आवाज़ दी,
मुझको पानी पीला दिजीए.
- राज़ इल्लहबादी
तोहमत = आरोप, कलंक, दोश देना
आप फिर मुस्कूरा दिजीए.
चांद कबतक ग्रहन मै रहे,
अब तो ज़ुल्फ़े हटा दिजीए,
मेरा दामम बहोत साफ़ है,
कोई तोहमत लगा दिजीए.
किंम्मत-ए-दिल बता दिजीए,
ख़ाक लेकर उड़ा दिजीए.
आप अंधेरे में कबतक रहे,
फिर कोई घर जला दिजीए.
इक समंदर ने आवाज़ दी,
मुझको पानी पीला दिजीए.
- राज़ इल्लहबादी
तोहमत = आरोप, कलंक, दोश देना
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