मुझे फ़िर वहीं याद आने लगे है,
भूलाने मैं जिन्हे ज़माने लगे है.
हटाऐ थे जो राह से मेरे दोस्तो के,
वोह पत्थर मेरे घर मैं आने लगे है.
मुद्दतो ग़म पे ग़म उठाया है,
तब कहीं जाके मुश्कूराया है.
एक निगाह खुलूश की खातिर,
ज़िंदगी भर फ़रेब खाये है.
सुना हैं हमे वोह भूलाने लगे है,
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे है.
ये कहेना था उन्से महोब्बत हैं मुझको,
ये कहेने मैं उन्से ज़माने लगे है.
क़यामत यक़िनन करिब आ गई हैं,
' खुमार ' अब तो मस्जिद मैं जाने लगे है.
- खुमार
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