वो आ के ख़्वाब में तस्कीने इज़्तिराब तो दे,
वले मुझे तपिशे-दिल मजाले-ख़्वाब तो दे.
वले मुझे तपिशे-दिल मजाले-ख़्वाब तो दे.
करे है क़त्ल, लगावट में तेरा रो ना,
तेरी तरह कोई तेग़े-निगह को आब तो दे.
तेरी तरह कोई तेग़े-निगह को आब तो दे.
दिखा के जुंबिशे-लब ही तमाम कर हमको,
न दे बोसा, तो मुंह से कहीं जवाब तो दे.
न दे बोसा, तो मुंह से कहीं जवाब तो दे.
पिला दे ओके से साक़ी, जो हमसे नफ़रत है,
प्याला गर नहीं देता, न दे शराब तो दे.
प्याला गर नहीं देता, न दे शराब तो दे.
' असद ' ख़ुशी से मेरे हाथ-पांव फूल गए,
कहा जो उसने, ज़रा मेरे पांव दाब तो दे.
कहा जो उसने, ज़रा मेरे पांव दाब तो दे.
- मिर्ज़ा ग़ालिब
इज़्तिराब = बेचैनी
मजाले-ख़्वाब = स्वपन की शक्ति
तेग़े-निगह = नज़र की तलवार
जुंबिशे-लब = होंठों का कम्पन
बोसा = चुंबन
मजाले-ख़्वाब = स्वपन की शक्ति
तेग़े-निगह = नज़र की तलवार
जुंबिशे-लब = होंठों का कम्पन
बोसा = चुंबन
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