जब तेरी याद के जुगनू चमके,
देर तक आँख में आँसू चमके.
सख़्त तारीक है दिल की दुनिया,
ऐसे आलम में अगर तू चमके.
हमने देखा सरे-बाज़ारे-वफ़ा,
कभी मोती कभी आँसू चमके.
शर्त है शिद्दते-अहसासे-जमाल,
रंग तो रंग है ख़ुशबू चमके.
आँख मजबूर-ए-तमाशा है ‘फ़राज़’,
एक सूरत है कि हरसू चमके.
- अहमद फ़राज़
तारीक = घनी अँधेरी
आलम = ऐसी दशा में
सरे-बाज़ारे-वफ़ा = वफ़ादारी के बाज़ार में
शिद्दते-अहसासे-जमाल = सौंदर्य की तीव्रता
मजबूर-ए-तमाशा = तमाशे के लिए विवश
हरसू = हर तरफ़
देर तक आँख में आँसू चमके.
सख़्त तारीक है दिल की दुनिया,
ऐसे आलम में अगर तू चमके.
हमने देखा सरे-बाज़ारे-वफ़ा,
कभी मोती कभी आँसू चमके.
शर्त है शिद्दते-अहसासे-जमाल,
रंग तो रंग है ख़ुशबू चमके.
आँख मजबूर-ए-तमाशा है ‘फ़राज़’,
एक सूरत है कि हरसू चमके.
- अहमद फ़राज़
तारीक = घनी अँधेरी
आलम = ऐसी दशा में
सरे-बाज़ारे-वफ़ा = वफ़ादारी के बाज़ार में
शिद्दते-अहसासे-जमाल = सौंदर्य की तीव्रता
मजबूर-ए-तमाशा = तमाशे के लिए विवश
हरसू = हर तरफ़
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