Sunday, November 9, 2014

जब तेरी याद के जुगनू चमके, देर तक आँख में आँसू चमके... - अहमद फ़राज़

जब तेरी याद के जुगनू चमके,
देर तक आँख में आँसू चमके.

सख़्त तारीक है दिल की दुनिया,
ऐसे आलम में अगर तू चमके.

हमने देखा सरे-बाज़ारे-वफ़ा,
कभी मोती कभी आँसू चमके.

शर्त है शिद्दते-अहसासे-जमाल,
रंग तो रंग है ख़ुशबू चमके.

आँख मजबूर-ए-तमाशा है ‘फ़राज़’,
एक सूरत है कि हरसू चमके.

- अहमद फ़राज़

तारीक = घनी अँधेरी
आलम = ऐसी दशा में
सरे-बाज़ारे-वफ़ा = वफ़ादारी के बाज़ार में
शिद्दते-अहसासे-जमाल = सौंदर्य की तीव्रता
मजबूर-ए-तमाशा = तमाशे के लिए विवश
हरसू = हर तरफ़

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