Saturday, November 22, 2014

भींगती आँखों के मन्ज़र नहीं देखे जाते, हमसे अब इतने समुन्दर नहीं देखे जाते. - मेराज फ़ैज़ाबादी

भींगती आँखों के मन्ज़र नहीं देखे जाते,
हमसे अब इतने समुन्दर नहीं देखे जाते.

उससे मिलना है अगर सादा मिज़ाजी से मिलो,
आइने भेष बदल कर नहीं देखे जाते.

वज़अदारी तो बुजुर्गों की अमानत है मगर,
अब ये बिकते हुए ज़ेवर नहीं देखे जाते.

जिन्दा रहना है तो हालात से डरना कैसा,
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते.

संगसारी तो मुकद्दर है हमारा लेकिन,
आप के हाथ में पत्थर नहीं देखे जाते.

जिसके दम से थी मेरे गाँव की रौनक़ 'मेराज',
उस हवेली में कबूतर नहीं देखे जाते.

- मेराज फ़ैज़ाबादी

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