Saturday, November 22, 2014

इतनी मुश्किल में कभी पहले तो जाँ आई न थी... - नफ़स अम्बालवी

इतनी मुश्किल में कभी पहले तो जाँ आई न थी,
ऐ मुहब्बत ! ..जब मिरी तुझ से शनासाई न थी.

ज़िन्दगी में सैंकड़ों ग़म थे तिरे ग़म के सिवा,
दिल में वीराने तो थे पर इतनी तन्हाई न थी.

रहगुज़र थी, हादसे थे, ..फासला था, धूप थी,
बरहनापाई थी लेकिन......आबलापाई न थी.

बच के तूफाँ से किसी सूरत निकल आये मगर,
हम वहाँ डूबे .... जहाँ दरिया में ..गहराई न थी.

ऐ मसीहा देखने निकला था मैं तेरा निज़ाम,
हर तरफ तू था मगर ...तेरी मसीहाई न थी.

अपने ज़ख़्मों की नुमाइश बेहिसों के शहर में,
इस दिले-मुज़्तर की नादानी थी दानाई न थी.

- नफ़स अम्बालवी
शनासाई - जान पहचान
बरहनापाई - नंगे पाँव
आबलापाई - पाँव में छाले होना
बेहिस - अचेतन
दिले-मुज़्तर - व्याकुल दिल
दानाई - समझदारी

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