कुछ न किसी से बोलेंगे,
तन्हाई में रो लेंगे...
हम बेरहबरों का क्या,
साथ किसी के हो लेंगे...
ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन,
तेरे भेद न खोलेंगे...
जीवन ज़हर भरा साग़र,
कब तक अमृत घोलेंगे...
नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़",
मौत आई तो सो लेंगे...
- अहमद फ़राज़
तन्हाई में रो लेंगे...
हम बेरहबरों का क्या,
साथ किसी के हो लेंगे...
ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन,
तेरे भेद न खोलेंगे...
जीवन ज़हर भरा साग़र,
कब तक अमृत घोलेंगे...
नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़",
मौत आई तो सो लेंगे...
- अहमद फ़राज़
No comments:
Post a Comment