Sunday, November 9, 2014

कुछ न किसी से बोलेंगे, तन्हाई में रो लेंगे... - अहमद फ़राज़

कुछ न किसी से बोलेंगे,
तन्हाई में रो लेंगे...

हम बेरहबरों का क्या,
साथ किसी के हो लेंगे...

ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन,
तेरे भेद न खोलेंगे...

जीवन ज़हर भरा साग़र,
कब तक अमृत घोलेंगे...

नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़",
मौत आई तो सो लेंगे...

- अहमद फ़राज़

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