तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था,
न था रक़ीब तो आखिर वो नाम किसका था !
वो क़त्ल करके हर किसी से पूछते हैं,
ये काम किसने किया हैं, ये काम किसका था !
वफ़ा करेंगे, निभायेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये केहना किसका था !
हर एक से कहते हैं क्या "दाग़" बेवफ़ा निकला,
ये पूछे इनसे कोई वो गुलाम किसका था.
- दाग़ देहलवी
No comments:
Post a Comment