मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये,
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये.
हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन,
लहू की शोबदाकारी-1 से बचिये.
शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी,
बड़े शहरों में बीमारी से बचिये.
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना,
तक़ल्लुफ़ की रवादारी-2 से बचिये.
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं,
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये.
1 धोखा
2 उदारता
- निदा फ़ाज़ली
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये.
हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन,
लहू की शोबदाकारी-1 से बचिये.
शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी,
बड़े शहरों में बीमारी से बचिये.
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना,
तक़ल्लुफ़ की रवादारी-2 से बचिये.
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं,
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये.
1 धोखा
2 उदारता
- निदा फ़ाज़ली
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