Monday, September 23, 2013

मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये, जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये. - निदा फ़ाज़ली

मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये,
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये.

हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन,
लहू की शोबदाकारी-1 से बचिये.

शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी,
बड़े शहरों में बीमारी से बचिये.

ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना,
तक़ल्लुफ़ की रवादारी-2 से बचिये.

बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं,
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये.

1 धोखा
2 उदारता

- निदा फ़ाज़ली

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