जिसका कोई भीं नहीं उसका खुदा है यारो,
मैं नहीं कहता, किताबों मैं लिखा हैं यारो.
संबे इस वक़्त कोई दर ना खुला पाओगें,
आओ मेंखाने का दरवाज़ा खुला हैं यारो.
इंतेज़ार आज के दिनका था बडी़ मुद्दत से,
आज उसने मुझे दिवाना कहा हैं यारो.
मैं अंधेरे में रहूं या मैं उजाले में रहूं,
ऐसा लगता हैं जैसे कोई देख रहा हैं यारो.
मूड़ के देखूं तो किधर, और सदा दूं तो किसे,
मेरे माज़ि ने मुझे छोड़ दिया हैं यारो.
कोई देता हैं दुआएं तो ये जल उठता हैं,
मेर जीवन किसी मंदीर का दिया हैं यारो.
- कृष्ण बिहारी 'नूर'
मैं नहीं कहता, किताबों मैं लिखा हैं यारो.
संबे इस वक़्त कोई दर ना खुला पाओगें,
आओ मेंखाने का दरवाज़ा खुला हैं यारो.
इंतेज़ार आज के दिनका था बडी़ मुद्दत से,
आज उसने मुझे दिवाना कहा हैं यारो.
मैं अंधेरे में रहूं या मैं उजाले में रहूं,
ऐसा लगता हैं जैसे कोई देख रहा हैं यारो.
मूड़ के देखूं तो किधर, और सदा दूं तो किसे,
मेरे माज़ि ने मुझे छोड़ दिया हैं यारो.
कोई देता हैं दुआएं तो ये जल उठता हैं,
मेर जीवन किसी मंदीर का दिया हैं यारो.
- कृष्ण बिहारी 'नूर'
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