दर्द से मेरे है तुझको बेक़रारी हाय हाय,
क्या हुई ज़ालिम तेरी ग़फ़लत शिआरी हाय हाय.
तेरे दिल में गर न था आशोबे-ग़म का हौसला,
तूने फ़िर क्यूं की थी मेरी ग़मसुसारी हाय हाय.
क्यूं मेरी ग़मख़्वारगी का तुझको आया था ख़्याल,
दुश्मनी अपनी थी, मेरी दोस्तदारी हाय हाय.
उम्र भर का तू ने पैमाने-वफ़ा बांधा तो क्या,
उम्र को भी तो नहीं है पायदारी हाय हाय.
ज़हर लगती है मुझे आब-ओ-हवा-ए-ज़िंदगी,
यानी तुझसे थी इसे नासाज़गारी हाय हाय.
गुलफ़िशानी हाए-नाज़े-जल्वा को क्या हो गया,
ख़ाक पर होती है तेरी लालाकारी हाय हाय.
शर्मे-रुसवाई से जा छुपना नक़ाबे-ख़ाक में,
ख़त्म है उल्फ़त की तुझ पर पर्दादारी हाय हाय.
ख़ाक में नामूसे-पैमाने-मुहब्बत मिल गई,
उठ गई दुनिया से राह-ओ-रस्मे यारी हाय हाय.
हाथ ही तेग़आज़मा का काम से जाता रहा,
दिल पे इक लगने न पाया ज़ख़्मे कारी हाय हाय.
किस तरह काटे कोई शब हाए तारे-बर्शिगाल,
है नज़र ख़ूंकर्दा-ए-अख़्तरशुमारी हाय हाय.
ग़ोश महजूरे-पयाम-ओ-चश्म महरुमे-जमाल,
एक दिल, तिस पर ये नाउम्मीदवारी हाय हाय.
इश्क़ ने पकड़ा न था 'ग़ालिब' अभी वहशत का रंग,
रह गया था दिल में जो कुछ ज़ौक़े-ख़्वारी हाय हाय.
- मिर्ज़ा ग़ालिब
शियारी = असावधानिया
आशोबे-गम = शोर शराबे कि पिड़ा
ग़मख़्वारी = दुख बांटना
पायदारी = मज़बूती
नासाज़गारी = प्रतिकूलता
हाए-नाज़े-जल्वा = सौंदय दर्शन
लालाकारी = पुष्प पंक्तिया
तेग़आज़म = तलवारबाज़ी
तारे-बर्शिगाल = सावन कि अंधेरी राते
ख़ूंकर्दा-ए-अख़्तरशुमारी = तारे गिनने का आदी
महरुमे-जमाल = देखने से वंचित आंखे
ज़ौके=ख़्वारी = अपमानित होने का शौक़
हितेशग़ज़ल -
Vaaaah janab shukriya is peshkash ke liye.
ReplyDeleteWah...
ReplyDeleteWaha.......thanx
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