Thursday, March 10, 2016

चराग़ दिल का मुक़ाबिल हवा के रखते हैं, हर एक हाल में तेवर बला के रखते है... - हस्तीमल 'हस्ती'


चराग़ दिल का मुक़ाबिल हवा के रखते हैं,
हर एक हाल में तेवर बला के रखते है...

मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में,
हम अपनी आँख का पानी बचा के रखते हैं...

हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी,
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं...

कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा,
बड़े क़रीने से घर को सजा के रखते हैं...

बस एक ख़ुद से ही अपनी नहीं बनी वरना,
ज़माने भर से हमेशा बना के रखते हैं...

अनापसंद हैं 'हस्तीजी' सच सही लेकिन,
नज़र को अपनी हमेशा झुका के रखते हैं...

- हस्तीमल 'हस्ती'

No comments:

Post a Comment