Friday, January 22, 2016

तन्‍हा न अपने आपको अब पाइए जनाब, मेरी ग़ज़ल को साथ लिए जाइए जनाब... - साज़ जबलपुरी

तन्‍हा न अपने आपको अब पाइए जनाब,
मेरी ग़ज़ल को साथ लिए जाइए जनाब...

नग़्मों की बारिशों में कहीं भीगने चलें,
मौसम की आरज़ू को न ठुकराइये जनाब...

रिश्‍तों को भूल जाना तो आसान है मगर,
पहले ख़ुद अपने आपको समझाइये जनाब...

ऐसा न हो थमे हुए आँसू छलक पड़ें,
रुख़सत के वक्‍़त मुझको न समझाइये जनाब...

मैं 'साज़' हूँ ये याद रहे इसलिए कभी,
मेरे ही शेर मुझको सुना जाइये जनाब...

- साज़ जबलपुरी

8 comments: