पत्थर बना दिया मुझे रोने नहीं दिया,
दामन भी तेरा ग़म ने भिंगोने नहीं दिया.
तन्हाईया तुम्हारा पता पुछती रहीं,
शब भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया.
आंखो में आ कर बैठ गई अश्को कि लेहर,
पलको पे कोई ख्वाब पे रोने नहीं दिया,
दिल को तुम्हारा नाम के आसुं अज़िज़ थे,
दुनिया का कोइ दर्द, समोने नहीं.
क्यु रुलायेगी येह दिल कि लगी,
दाग़-ए-जिगर, गरीब का धोने नहीं दिया.
" नाशीर " यु उसकी याद चली हाथ थाम के,
मेले में इस ज़हां के खोने नहीं दिया.
- नाशीर
हितेशग़ज़ल -
दामन भी तेरा ग़म ने भिंगोने नहीं दिया.
तन्हाईया तुम्हारा पता पुछती रहीं,
शब भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया.
आंखो में आ कर बैठ गई अश्को कि लेहर,
पलको पे कोई ख्वाब पे रोने नहीं दिया,
दिल को तुम्हारा नाम के आसुं अज़िज़ थे,
दुनिया का कोइ दर्द, समोने नहीं.
क्यु रुलायेगी येह दिल कि लगी,
दाग़-ए-जिगर, गरीब का धोने नहीं दिया.
" नाशीर " यु उसकी याद चली हाथ थाम के,
मेले में इस ज़हां के खोने नहीं दिया.
- नाशीर
हितेशग़ज़ल -
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