Friday, March 31, 2017

हाल ऐसा नहीं कि तुमसे कहें, एक झगड़ा नहीं कि तुमसे कहें. - महबूब ख़िज़ाँ⁠⁠⁠⁠

हाल ऐसा नहीं कि तुमसे कहें,
एक झगड़ा नहीं कि तुमसे कहें.

ज़ेरे-लब आह भी मुहाल हुई,
दर्द इतना नहीं कि तुमसे कहें.

सब समझते हैं और सब चुप हैं,
कोई कहता नहीं कि तुमसे कहें.

किससे पूछें कि वस्ल में क्या हैं,
हिज्र में क्या नहीं कि तुमसे कहें.

अब ' ख़िज़ाँ ' ये भी नहीं कह सकते,
तुमने पूछा नहीं कि तुमसे कहें.

- महबूब ख़िज़ाँ⁠⁠⁠⁠

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