Sunday, September 8, 2013

सुनते है की मिल जाती है हर चिज़ दुआ से, इक रोज़ तुम्हैं मांग के देखेगें खुदा से. - राना अकबराबादी

सुनते है की मिल जाती है हर चिज़ दुआ से,
इक रोज़ तुम्हैं मांग के देखेगें खुदा से.

दुनिया भी मिली है ग़म-ए-दुनिया भी मिला है,
वोह क्युं नहीं मिलता जिसे मांगा था खुदा से.

आईने में वो अपनी अदा देख रहे है,
मर जाऐ के जी जाए कोई उन की बला से.

ऐ दिल तू उन्है देख कर कुछ एसे तड़पना,
आ जाए हंसी उनको जो, बैठे है ख़फा से.

जब कुछ ना मिला, हाथ दुआ ओ में उठा कर,
फिर हाथ उठाने ही पडे हमको दुआ से.

तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारीश,
वोह दिन भी थे जब आग बरसती थी घटां से.

- राना अकबराबादी

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