तेरी गली से हम जो अचानक गुजर गए,
जो ज़ख्म भर चले थे वो फिर से उभर गए.
वो क्या हमारा साथ कड़ी धूप में देंगे,
जो चांदनी में अपने ही साये से डर गए.
अश्कों ने रख लिया हैं तेरे प्यार का भरम,
दामन पे आ रहे थे मगर फिर ठहर गए.
वो जुर्म जिसमे दोनों बराबर के थे सरीक़,
इल्ज़ाम जितने थे वो हमारे ही सर गए.
- इसरार अंसारी
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