बात साक़ी की ना टाली जाएगी..
करके तौबा तोड़ डाली जाएगी !
वो सँवरते हैं मुझे इसकी है फ़िक्र..
आरज़ू किसकी निकाली जाएगी !
क्यूं नहीं लगती गले से तेग़े-नाज़..
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी !
बे-सब़ब अपनी ज़िगरकाब़ी नहीं..
इश्क की बुनियाद डाली जाएगी !
दिल लिया पहली नज़र में आपने..
अब अदा कोई न खाली जाएगी !
गर यही तर्ज़े-फुगां हैं अंदलीब..
तू भी गुलशन से निकाली ज़ाएगी !
आते-आते आयेगा उनको खयाल..
जाते-जाते बे-खयाली जाएगी !
क्या कहूं दिल तोड़ते है किसलिये..
आरज़ू शायद निकाली जाएगी !
गर्मी -ए-नज़्ज़ारा-बाज़ी का है शौक..
बाग से नर्गिस निकाली जाएगी !
देखते हैं गौर से मेरी शबीह..
शायद इसमें ज़ान डाली जाएगी !
ऐ तमन्ना तुझको रो लूं शामे-वस्ल..
आज़ तू दिल से निकाली जाएगी !
फ़स्ले-गुल आई ज़ुनूं उछला "ज़लील"..
अब तबीयत कुछ सम्भाली ज़ाएगी !
- "ज़लील"
करके तौबा तोड़ डाली जाएगी !
वो सँवरते हैं मुझे इसकी है फ़िक्र..
आरज़ू किसकी निकाली जाएगी !
क्यूं नहीं लगती गले से तेग़े-नाज़..
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी !
बे-सब़ब अपनी ज़िगरकाब़ी नहीं..
इश्क की बुनियाद डाली जाएगी !
दिल लिया पहली नज़र में आपने..
अब अदा कोई न खाली जाएगी !
गर यही तर्ज़े-फुगां हैं अंदलीब..
तू भी गुलशन से निकाली ज़ाएगी !
आते-आते आयेगा उनको खयाल..
जाते-जाते बे-खयाली जाएगी !
क्या कहूं दिल तोड़ते है किसलिये..
आरज़ू शायद निकाली जाएगी !
गर्मी -ए-नज़्ज़ारा-बाज़ी का है शौक..
बाग से नर्गिस निकाली जाएगी !
देखते हैं गौर से मेरी शबीह..
शायद इसमें ज़ान डाली जाएगी !
ऐ तमन्ना तुझको रो लूं शामे-वस्ल..
आज़ तू दिल से निकाली जाएगी !
फ़स्ले-गुल आई ज़ुनूं उछला "ज़लील"..
अब तबीयत कुछ सम्भाली ज़ाएगी !
- "ज़लील"
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