Saturday, November 16, 2013

इश्क़ की दास्तान है प्यारे, अपनी अपनी ज़ुबान है प्यारे.. - जिगर मुरादाबादी

https://www.youtube.com/watch?v=kVXX4hAGJUo&list=UUrVbWoGStKupMEk6cJ5433A
इश्क़ की दास्तान है प्यारे,
अपनी अपनी ज़ुबान है प्यारे..

जब से तू मेहरबान है प्यारे,
और दिल बाद गुमान है प्यारे..

रख कदम फूँक फूँक कर नादां,
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे..

इश्क की एक एक नादानी,
इल्म-ओ-हिकमत की जान है प्यारे...

इसको क्या कीजिये जो लब न खुले,
यूँ तो मुहँ में ज़बान है प्यारे..

तू जहाँ नाज़ से कदम रख दे,
वो ज़मीं आसमान है प्यारे...

उसकी बातो में तू न आ जाना,
इश्क़ जादू-बयान है प्यारे..

इन दिनों दिल के रंग ढंग न पूछ,
कुछ अजब आन बान है प्यारे..

सच बता इसमें कोई बात भी है?
या यूँ ही मेहरबान है प्यारे..

हम ज़माने से इन्तक़ाम तो ले,
इक हँसी दरम्यान है प्यारे..

दिल का आलम निग़ाह क्या जाने,
ये तो सिर्फ इक ज़ुबान है प्यारे...

हम से जो हो सका हम कर गुज़रे,
अब तेरा इम्तिहान है प्यारे..

तू नहीं मैं हूँ मैं नहीं तू है,
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे..

क्या कहे हाल-ए-दिल ग़रीब ‘जिगर’,
टूटी फूटी ज़बान है प्यारे...

हाँ तेरे अहद में ‘जिगर’ के सिवा,
हर कोई शादमान है प्यारे...

तेरा दीवान-ए-ग़रीब ‘जिगर’
फ़ख्र-ए-हिन्दोस्तान है प्यारे.

  - जिगर मुरादाबादी.

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